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पहाड़ी लोक कथाएं

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मैली सोच..

 "आज फिर से लेट हो जाऊंगी, लग रहा है" आरती बार बार अपनी घड़ी देख रही थी। "एक तो यह बस वाला इतना धीरे गाड़ी चला रहा है, पर इसक...

अपनी बहू को ... जगत सासों से बचाओ

आज अशोक जी के घर में उनके बेटे विनीत और कीर्ति (बहू) की शादी का अगला दिन था। सब मेहमान जाने में लगे हुए थे। धीरे-धीरे घर खाली हो रहा था। अशो...

"जिएंगे साथ साथ और ...... "

ढेर सारी मशीनों के बीच में, हॉस्पिटल के बेड पर सोए-सोए विनोद जी सामने बैठी उदास और चिंतित सी, उनकी पत्नी उमा जी को एकटक देखे जा रहे थे..  उम...

अपराधबोध- जीवन की धूप

रात के दो बज रहे थे, आंखो से नींद कहीं दूर खड़ी थी, रह रह कर अजीब से ख्याल आ रहे थे| साथ में सोए राहुल को देखकर कोई प्यार या स्नेह नहीं याद ...

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